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मनरेगा: गबन में फंसे ग्राम पंचायत सचिव को बारह वर्ष बाद भेजा जेल, किया निलंबित

 

मनरेगा
– फोटो : प्रतीकात्मक

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अलीगढ़ जिले की इगलास तहसील के गांव खिरसौली में मनरेगा मजदूरी के फर्जीवाड़े के मुकदमे में 12 वर्ष बाद तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव को पुलिस ने जेल भेज दिया। पंचायत सचिव की गिरफ्तारी अदालत से जारी वारंट के आधार पर की गई। वहीं इस सूचना पर पंचायत विभाग ने सचिव को निलंबित भी कर दिया है।

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बता दें कि इस पंचायत सचिव पर इसी तहसील के गांव टमोटिया में मनरेगा मजदूरी के फर्जीवाड़े के मुकदमे में भी आरोप है। उसका मुकदमा मेरठ स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में मुकदमा वर्ष 2013 में खिरसौली के तत्कालीन ग्राम पंचायत सदस्य अरविंद कुमार उपाध्याय ने मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें आरोप लगाया कि गांव का एक युवक जो उस समय कॉलेज का छात्र था। वह कॉलेज में उपस्थित था। उन दिनों की उसकी करीब डेढ़ माह की मनरेगा हाजिरी लगाकर दैनिक भुगतान निकाला गया है।

इस मुकदमे में तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव मुकुंद सक्सेना, प्रधान व एक अन्य को नामजद किया गया। पुलिस ने कुछ माह विवेचना के बाद मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी। बाद में वादी चूंकि पेशे से अधिवक्ता हैं। इसलिए उन्होंने अदालत में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट पर खुद आपत्ति दायर कर दी। जेएम इगलास की अदालत ने सितंबर 2014 में पुलिस अंतिम रिपोर्ट खारिज कर आरोपियों को तलब किया। मगर पंचायत सचिव हाईकोर्ट तक चला गया। वहां से राहत नहीं मिली।

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