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10 सितारों से सजी थी कहानी, कौड़ियों के भाव कमाकर भी बनी कल्ट क्लासिक

 

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विनोद खन्ना, जितेंद्र और धर्मेंद्र।

बॉलीवुड में मल्टी-स्टारर फिल्में कई दशकों से बनती चली आ रही हैं। इन फिल्मों में एक साथ कई सितारे अपनी नजर आते हैं। हर एक का किरदार अलग छाप छोड़ता है। ऐसी कई मल्टी स्टारर फिल्मों में अमिताभ बच्चन भी नजर आ चुके हैं। इस तरह की फिल्में सफलता का सबसे सरल फार्मूला मानी जाती हैं। कहा जाता है कि सितारों का फैन बेस एक फिल्म को सफल बनाने के लिए जुट जाता है। जल्द ही ‘वेलकम टू द जंगल’ और ‘हाउसफुल 5’ कई सितारों के साथ इस पैमाने पर नई कहानी लेकर आएंगी। इन फिल्मों को भी यही उम्मीद है कई सितारों के भरोसे फिल्म तगड़ी कमाई कर लेगी। ‘सिंघम अगेन’, ‘भूल भुलैया’ और ‘स्त्री 2’ जैसी कई फिल्में इसी फॉर्मुले पर हिट बनीं। ‘शोले’, ‘कभी खुशी कभी गम’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ तक, तमाम और फिल्में भी इसी तरह सफलता हासिल कर सकीं। ये फिल्में काफी बड़े बजट में बनाई जाती हैं। ऐसे में अगर ये फ्लॉप हो जाएं तो मेकर्स को काफी बड़ा चूना लगता है। आज हम ऐसी ही एक फिल्म की बात करेंगे जो 10 टॉप सितारों के साथ बनी और फिर भी हिट नहीं हो सकी। इस फिल्म को देखने दर्शक सिनेमाघरों में नहीं पहुंचे।

अमिताभ ने फिल्म को किया था रिजेक्ट

फिल्म की कहानी में दम था, लेकिन फिर भी फिल्म की कमाई कौड़ियों के भाव रही। आमिताभ बच्चन ने इस फिल्म को रिजेक्ट कर दिया था, क्यों इनकी डेट्स मैच नहीं हो रही थीं। वैसे तमाम असफलताओं के बाद भी ये फिल्म कल्ट सिनेमा में गिनी जाती है। हम बात कर रहे हैं साल 1980 में बनी बीआर चोपड़ा की ‘द बर्निंग ट्रेन’ के बारे में, जिसका निर्देशन रवि चोपड़ा ने किया था। इस फिल्म में धर्मेंद्र, जीतेंद्र, विनोद खन्ना, विनोद मेहरा, हेमा मालिनी, नीतू कपूर, परवीन बॉबी, डैनी, रंजीत जैसे 10 अभिनेताओं की बड़ी फौज थी। स्टार-स्टडेड लाइनअप के बावजूद, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी फ्लॉप साबित हुई।

आधा भी नहीं कमा सकी थी फिल्म

नवीन निश्चल, सिमी गरेवाल, आशा सचदेव, नजीर हुसैन, इफ्तिखार, जगदीश राज, मैक मोहन, असरानी, ​​केष्टो मुखर्जी, सुधा शिवपुरी और यूनुस परवेज जैसे कई नामी चेहरे भी इस फिल्म में नजर आए थे। उस दौर में भी इस फिल्म को बनाने में 30 करोड़ रुपये की लागत आई थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर फिल्म सिर्फ 6 करोड़ रुपये ही कमा पाई। इसके बाद कई सालों तक ये फिल्म दूरदर्शन काफी सफल रही। सिटकॉम पर इस फिल्म को देखना लोग आज भी पसंद करते हैं और कई चैनलों पर ये दिखाई जाती रहती है। टीवी के भरोसे ही इस फिल्म को देर से ही सही लेकिन कल्ट क्लासिक दर्जा मिल गया और सिटकॉम की दुनिया की ये बाजीगर साबित हुई। कहा जाता है कि इतने सितारे होने के बाद भी सभी को अच्छा-खासा स्क्रीन टाइम दिया गया था।

असल ट्रेल में शूट हुई थी फिल्म

इतना ही नहीं इस फिल्म की कहानी को असल दिखाने के लिए रियल ट्रेन में आग लगाई गई थी। फिल्म के कुछ एक्शन सीन्स राजधानी एक्सप्रेस पर शूट किए गए। शूटिंग पनवेल और बड़ौदा जैसे स्टेशनों पर रात की शिफ्ट में शाम 7 बजे से सुबह 4 बजे के बीच होती थी। दूसरी तरफ फिल्म का एक बड़ा हिस्सा मुंबई की फिल्म सिटी में शूट किया गया था, जहां एक खास सेट बनाया गया था। दिल्ली स्टेशन से राजधानी एक्सप्रेस के रवाना होने वाले दृश्य को कैप्चर करने के लिए फिल्म की शूटिंग दिल्ली में भी की गई थी। इस दृश्य को शूट करना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ क्योंकि इसे देखने के लिए हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। इसके अलावा, फिल्म के लिए 400 जूनियर आर्टिस्ट को काम पर रखा गया था, जिससे इसका बजट और बढ़ गया। यह फिल्म हॉलीवुड की ‘द टावरिंग इन्फर्नो’ पर आधारित थी।

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