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UP: परिवहन विभाग का हाल… पांच मिनट में हो जाती है फिटनेस की जांच, मौके पर नहीं होता है कोई जिम्मेदार

 

वाहनों की जांच करते परिवहन विभाग के ग्रुप डी के कर्मचारी।
– फोटो : संवाद

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चेसिस नंबर का मिलान कर वाहन के पेपर का सत्यापन, स्टेयरिंग के नीचे की फर्श और वाहन के बाहर की फोटो, बिना जलाए हेड लाइट की जांच, परिवहन विभाग में वाहनों की फिटनेस जांचने का कुछ यही तरीका है। जिसे पांच मिनट से भी कम समय मेंं पूरा कर लिया जाता है।

न तो कोई जिम्मेदार मौके पर होता है और न ही फिटनेस जांचने में वाहनों के मानक परखे जाते हैं। जबकि आरटीओ कार्यालय में रोजाना करीब 65 हल्के और भारी वाहनों का फिटनेस होता है। ट्रांसपोर्ट नगर स्थित परिवहन कार्यालय के मेन गेट के बाहर हल्के वाहनों को फिटनेस की जांच के लिए खड़ा किया जाता है।

वाहनों की जांच करने का काम परिवहन विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी करते हैं। वह वाहनों की चेसिस नंबर, शीशे आदि को देखते हैं। इसके बाद वाहनों का फोटो खींचकर मैनुअल तरीके से फिटनेस बनाया जाता है।

जबकि वाहनों का फिटनेस आरआई को करना होता है। बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर आरआई के स्थान पर वाहनों के फिटनेस की जांच प्राइवेट कर्मचारी कर देते हैं। वाहनों का फिटनेस मिनटों में हो जाता है। यह समस्या आए दिन की है।

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