सहसवान का सरसोता
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बदायूं में पर्यटन विभाग ने पर्यटन स्थलों की सूची में धार्मिक स्थलों को शमिल तो कर लिया, लेकिन सहूलियतों के अभाव में यहां आपेक्षित सैलानियों का आवागमन नहीं है। स्थिति यह है कि जिले के ही तमाम लोग यहां के पर्यटन स्थलों के बारे में नहीं जानते। बड़े स्तर पर किसी भी ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल को तरजीह नहीं मिली। अगर जिले को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए, तो पर्यटकों को लुभाया जा सकता है।
गंगा और रामगंगा के अलावा करीब आधा दर्जन नदियां जिले की सीमा में होकर निकलती हैं, जो जिले को ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से समृद्ध बनाती हैं। जिले को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए काम भी हुआ, लेकिन अधिकांश काम कागजों में ही हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि अब भी जिले में कई पर्यटन स्थल केवल नाम के ही हैं।
शहर में ताजमहल जैसी आकृति इमारत इखलास खां का रोजा जवाहरपुरी में है। यह मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में हैं। शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था, वहीं मुमताज की बहन परवर आलम का मकबरा भी बदायूं के शेखूपुर में है। सरकार ककोड़ा देवी मंदिर, बिनावर के पौराणिक स्थल राजा बेन के सौंदर्यीकरण पर 50-50 लाख रुपये खर्च कर चुकी है।